गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

एक कविता "पेड़ से बात करो"

                     पेड़ से बात करो
 पेड़ को छुओ
इसमे भी झुरझुरी होती है
काँपते हैं इसके पत्ते

ड़गाल पर चढ़ो
भर-भरा कर उड़ जायेगी चिड़ियाँ सारी
और वीरान हो जायेगी इसकी दुनिया

एक पत्ता तोड़ो
मौसम उलट देगा अपना पन्ना
और तुम्हारे हाथ सूखे पत्ते लगेंगे

पेड़ से बात करो......


                    पथिक तारक

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