गुरुवार, 15 सितंबर 2011

एक कविता "मेरा लौटना"

          मेरा लौटना

स्मृतियों में दर्ज है ऐसी तारीखें
मेरे जन्म की,
नौकरी लगने की तारीख,
शादी की
मामा के अचानक चले जाने की तारीख
और जैसे मेरे घर छोड़ने की भी


कुछ घर गाँव है
जिन्हे मैं छोड़ आया
मामी का घर नानी का गाँव
फुफेरे बड़े भाई की कोठरी
और माँ ....  पिता का गाँव

अभी भी बची है कुछ इच्छाएँ
अदद् तरक्की पा लेने की
एक अच्छे पिता बनने की इच्छा
और यह कि
यहीं कहीं हो छोटा सा अपना घर,

अभी बहुतों ने नहीं छोड़ा है साथ
इस शहर की पुरानी मकान मालकिन
जो चली आती है जब भी मन करे
बड़े भाई जैसे मित्र
जो अक्सर मिला देते हैं, मुझे मुझसे
पत्नी है ,जिसे न कहना नहीं आता

और उम्मीद
जिसके होने में है
 मेरा लौटना.

                        पथिक तारक










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