रविवार, 18 मार्च 2012

मेरी कुछ कविताएं आपके लिये...........अस्पताल में" चार कविताएँ"

"अस्पताल में"  एक

उसका तड़पना पुकारना रोना
फिर चुप्पी
यहीं पत्नी अपनी सांस से
उनकी सांस टटोलती है
और ज्यादा न जी पाने के
 उनके से
उनके होने के यकीन को
पास, और पास खीचती पत्नी
एक-एक सांस के बदले उन्हे
उनके साथ बिताये दस- दस बरस लौटाती
एक साथ दो जीवन जीती जाती है
                    0

"अस्पताल में" दो

उनकी आवाज़ है कि
दूर से आ रही है थरथराती हुई
उनके हाथ उठते हैं
तो बस बुलाने के लिए
उनकी सोच इधर- उधर से होकर
अटक जाती है पत्नी के माथे पर
पत्नी किसे आवाज़ दे
किसे बुलाये
सोचे तो भी क्या  ?
वह तो  बस
वहीं से निकल कर
वहीं लौटना जानती है.
           0

"अस्पताल में" तीन


उनकी देह अभी भी है
आपरेशन टेबल पर

डाक्टर जूझ रहे हैं
उनके गुर्दे,आँत लहू और सांस से


दरवाज़े के पार
पत्नी के काँधे पर अभी भी
उन्ही का हाथ है
और यह भी कि
नहीं, बिलकुल नहीं .
            0

"अस्पताल में" चार

वह अभी बेहोश है
बंधुओं और वे जो अपने कह जाते हैं के
ज़रुरी काम निकल आये हैं

वह बेहोशी में
पत्नी से कहते रहे हैं
कुछ भी माँगना मत इनसे ,हिम्मत तक भी
वे नहीं दे सकेगें
मेरे पास जो है कुछ के लिए कम होगा

पत्नी के पास यहाँ कोई नहीं है
जिसे बताये कि
उसने कभी हिसाब रखा ही नहीं
                 0

                                        पथिक तारक









1 टिप्पणी: